हिंदू धर्म की मान्यता के अनुसार, कोई भी शुभ कार्य करने से पूर्व विधि विधान के साथ गणेश जी की पूजा की जाती है, क्यूकि गणेश जी सभी विघ्न हर लेते है। हिंदू पंचांग के अनुसार, भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को गणेश चतुर्थी कि त्योहार मनाया जाता है, जिसमे 10 दिन तक गणेश जी की सभी विधि अनुसार पूजा की जाती है।
इस साल यह त्योहार, सितंबर की 19 तारिक से शुरू होने वाला है और यह 28 सितंबर तक चलेगा। इस त्योहार में गणेश जी की घर पर स्थापना करके पूर्ण विधि अनुसार उनकी 10 दिन तक पूजा की जाती है तथा गणेश जी को प्रिय सभी वस्तुओं को उनको अर्पित किया जाता है। आज हम आपको इस लेख के माध्यम से यह बतायेंगे कि आपको क्या नहीं करना चाहिए।
तुलसी
पौराणिक कथाओं के अनुसार, गणेश जी ने माता तुलसी का विवाह प्रस्ताव की ठुकरा दिया था। जिससे क्रोधित होकर तुलसी ने गणेश जी को 2 विवाह का श्राप दिया था। इसी वजह से ऐसा माना जाता है कि गणेश जी को तुलसी अर्पित नहीं करती चाहिए।
बप्पा को अकेले नहीं छोड़ना चाहिए
गणेश चतुर्थी में जब गणेश जी की स्थापना कि जाती है, तो उसके बाद भूलकर भी गणेश जी को अकेला ना छोड़। यदि किसी ज़रूरी कार्य से बाहर जाना पड़े तो भी किसी एक व्यक्ति को हमेशा घर पर रहना चाहिये।

उजाला है अनिवार्य
जिस भी स्थान पर आप गणेश जी की स्थापना करने वाले है, ध्यान रखें उस स्थान पर अंधेरा ना हो, बप्पा के दर्शन उजाले में करना ही शुभ माना जाता है।
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भोग
ध्यान रहे, स्थापना करते ही विधि विधान के साथ पूजा करने के अलावा जब भी आप भोजन ग्रहण करे तो उससे पहले उसका भोग बप्पा को लगाना चाहिए। इससे घर में समृद्धि आती है।
विसर्जन
सभी दिन पूर्णतः विधि विधान के साथ पूजा करने के बाद, जब आप बप्पा को विसर्जन के लिए ले जाये तो ध्यान रहे की उनका विसर्जन पवित्र जलस्रोत में ही करे। यदि आस पास कोई पवित्र जल स्रोत नहीं है तो घर पर ही बाल्टी या ड्रम में विसर्जित कर दीजिए। यदि संभव हो तो मूर्ति को किसी प्राकृतिक जलाशय में ही लेकर जाये, तथा विसर्जन करने से पूर्व घर पर आरती और भोग अवश्य करे।