आये दिन किसी ना किसी घोटाले की खबर चर्चा में रहती है। कभी शराब घोटाला तो कभी कोयला घोटाला। ऐसा ही एक बहुत चर्चित घोटाला है, बैंक घोटाले। आज तक हमारे देश में बहुत से बैंक घोटाले हुए है, जिस वजह से कोई जेल में बंद है तो वही कई ऐसे भी लोग है जो घोटाला करने के बाद दूसरे देश में ऐश और आराम की ज़िंदगी जी रहे है।
शायद ही किसी को हमारे देश के सबसे बड़े घोटालों के बारे में पता होगा, और शायद ही किसी को उस घोटाले की रक़म के बारे में पता होगा। आज इस लेख में हम आपको देश के सबसे बड़े 5 घोटालों और उनकी रक़म के बारे में बतायेंगे।
ABG शिपयार्ड बैंक स्कैम:
यह कंपनी 15 मार्च 1985 से भारत में पानी का जहाज़ बनाए वाले और रिपेयर करने वाली एक बहुत बड़ी बड़ी कंपनी है। साथ ही यह कंपनी अखबारी कागज और थोक सीमेंट लोड करने के लिए जानी जाती है। सन् 1985 से ABJ शिपयार्ड कंपनी जो की ABJ ग्रुप से जुड़ी हुई है, ने पानी के जहाज़ बनाने और उन्हें रिपेयर करने पर ध्यान केंद्रित करा। उस समय चेयरमैन का पद संभलने वाले Rishi Kamlesh Agarwal थे, और उनकी यह कंपनी गुजरात में 2 सबसे पर बंदरगाह चलती थी। उस समय इस कंपनी ने कुल 28 बैंक से 5 सालों (2012 से 1017) में 22,848 करोड़ रुपये का घोटाला किया। दरअसल, कंपनी ने जिस काम के लिये बैंक से कर्ज लिया था उस काम पर उस कर्ज की राशि का नहीं लगाया। साथ ही 2008 के मंदी के समय पर कार्गो के माँग पर भी गिरावट आ गई थी।

मंदी के चलते सभी जगह इसका दुष्प्रभाव पड़ने लगा और शिपिंग इंडस्ट्री भी इससे बच नहीं पायी। मंदी के बाद स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया (SBI) ने 2014 में कॉर्पोरेट ऋण पुनर्गठन कार्यक्रम के तहत सभी कम्पनियो को जारी किए गए कर्ज को पुनर्गठन करने का निर्णय लिया। वैश्विक वित्तीय संकट (मंदी) के कारण बहुत से कंपनी की वित्तीय हालत सही नहीं थी जिसके कारण इसे एक गैर-निष्पादित परिसंपत्ति माना गया क्योंकि यह कंपनी अब अपने कर्ज का भुगतान करने में असमर्थ थी।
आख़िर इसका प्रभाव क्या हुआ?
स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया ने जब कॉर्पोरेट ऋण पुनर्गठन कार्यक्रम के तहत सभी कंपनी के कर्ज के बारीकी से जाँच करी तो उन्होंने ABG शिपयार्ड को दिये गये कर्ज में कुछ गड़बड़ देखी जिसकी उन्होंने शिकायत दर्ज करी। इसके बाद जब Ernst and Young कंपनी के द्वारा ऑडिट किया गया तो उनके ऑडिट में पाया गया कि, यह कंपनी द्वारा 2012 से 2017 तक कई फ्रॉड काम करे गये है, जिस्म प्रमुख तौर पर भारत के बैंक से लिए हुआ कर्ज कि रक़म को बाहर के देशों में निवेश करना था। इस कारनामे के सामने आने पर इसके एक धोखादड़ी का मामला बताया गया क्यूकि साफ़ तौर पर कंपनी के द्वारा नियमों को तोड़ा गया था। जिसके बाद 2021 में की गई स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया (SBI) की शिकायत पर स्पष्टीकरण का अनुरोध करने के बाद, सीबीआई ने फरवरी 2022 में एक FIR दर्ज की।