दही, गर्मियों का एक ऐसा खाद्य पदार्थ है, जो हर घर में खाया जाता है, और यह बहुत ज़रूरी भी होता है। इसमें पाए जाने वाले कुछ तत्व हमारे शरीर के लिए ज़रूरी होता है, और रोगों से लड़ने की शक्ति प्रदान करते है। दही अपने ठंडे गुणों और अच्छे बैक्टीरिया का पावरहाउस होने के कारण भारतीय आहार का एक अनिवार्य हिस्सा है। यह न केवल फीकी खिचड़ी के साथ बहुत अच्छा लगता है, बल्कि आलू के परांठे को एक कटोरी दही के बिना खाने की कल्पना भी नहीं की जा सकती है। पाचन में सहायता से लेकर प्रतिरक्षा प्रणाली को बढ़ावा देने तक, यह निश्चित रूप से हमारे भोजन के लिए एक महत्वपूर्ण आहार है।
दही, को कई लोग रात में अपने डिनर के साथ खाते है, तो वही कई लोग सुबह सुबह नाश्ते में परांठे के साथ, तो कई लोग इसे दोपहर के लंच के साथ भी लेते है। दही के और भी अन्य प्रकार है, जैसे जो दही नहीं खाता व उसे दही पसंद नहीं होते तो इसी दही का रायता बनाकर भी खाया जाता है। परंतु इतने एक गुणों वाला दही खाने पर भी कई लोग किसी ना किसी प्रकार के रोग से ग्रस्त हो जाते है, अध्यन करने पर यह बात सामने आयी की, हमारे देश में 90 प्रतिशत से ज़्यादा लोग आयुर्वेद के नियम के हिसाब से दही का सेवन नहीं करते और जिससे कफ दोष को बढ़ावा मिलता है जो आगे चलकर बड़ी समस्या बन सकती है।

तो अब बात आती है, की दही को खाने का सबसे अच्छा समय कौन सा है, जो आयुर्वेद के हिसाब से भी हो और शरीर को नुक़सान ने देकर फ़ायदा भी दे। तो चलिए आज हम आपको बताते है आयुर्वेद के नियमों के हिसाब से, दही खाने का सही समय कौन सा है। आयुर्वेद की माने तो रात के समय हमारे शरीर में कफ़ दोष बढ़ता है, जिस वजह से दही रात्रि के समय खाने पर बलगम की बड़ी समस्या हो सकती है, तो दही को रात्रि मैं बिलकुल नहीं ख़ाना चाहिए, यदि आप रात्रि में दही के बिना नहीं रह सकते तो उसके अतिरिक्त आप छाछ, लस्सी, योगर्ट या रायता ले सकते है।
वही, हमारा शरीर जिसमे रात्रि के समय कफ़ दोष बड़ जाता है, में दोपहर के समय वह नियंत्रण में रहता है, इसीलिए यदि आप दही के बहुत शोकीन है तो हम आपको बता दें कि आयुर्वेद के नियमों के हिसाब से, दही खाने का सही समय है दोपहर मे, जिसे आप अपने लंच के साथ ले सकते है और आपको किसी भी कफ़ दोष की चिंता करने की ज़रूरत भी नहीं।