क्या आपको पता है, घड़ी के अविष्कार से पहले लोग समय का पता कैसे लगाते थे, जानिए यहाँ।

Clock History: Clock यानी घड़ी, जो आज इंसान की ज़िंदगी का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, इसके बिना आज कोई नहीं रह पता क्यूकि इसी से हमे सभी चीज़ो का पता चल पता है, जैसे कितने बज रहे है, कहा जाना है, कब अंधेरा होगा, कितना टाइम में सूर्यौदय या सूर्यास्थ होगा, और बहुत से महत्वपूर्ण जानकारिया, साथ ही हम आपको बताने चाहेंगे कि घड़ी का अविषार 966 ई. में हुआ था, परंतु क्या आपने कभी सोचा है, कि घड़ी के अविष्कार से पहले भी तो इंसान को समय जानने की ज़रूरत पड़ती होगी तो तब इंसान कैसे समय के बारे में पता लगाता था, तो चलिए आज हम आपको इस लेख में यह बताते है।

जब घड़ी का अविष्कार नहीं हुआ था, तब इंसान सूरज की रोशनी की मदद से समय का पता लगाते थे, जैसे सूरज जब सिर पर है तो आधा दिन हो गया है, परंतु यह भी एक दिक़्क़त थी, कि जब आसमान में बादल छा जाते थे तो ऐसे में लोग कई बार समय का सही अनुमान नहीं लगा पाते थे। तो इस समस्या के समाधान के लिए इंसान ने जल घड़ी का इस्तेमाल करना शुरू कर दिया, इसमें लोग एक बर्तन के नीचे छोटा सा छेद करके उसमें पानी भरकर रख दिया करते थे। जैसे जैसे पानी खत्म होता उस तरह वक़्त का पता लगाया जाता था। मगर इसमे भी एक दिक्कत थी। जब बर्तन भरा होता था तो पानी तेजी से गिरता था और जब पानी कम हो जाता तो धीरे धीरे गिरता था, लेकिन सही समय जानने के लिए पानी का बराबर गिरना ज़रूरी था।

इसके बाद, सन् 996 AD में पोप सिल्वेस्टर द्वितीय ने घड़ी का आविष्कार किया, और जिसकी मदद से दुनिया में हर जगह जो जो भी घड़ी का इस्तेमाल कर रहे थे एक ही समय देखते थे, जिससे उनकी दिनचर्या में आसानी हुई, उसके बाद सभी ने इसको अपना लिए, परंतु यह भी सोचने कि बात है कि, जब पहली बार घड़ी बनी होगी यदि उस समय कुछ छोटी से भी समय में गलती हुई होगी, तो वो गलती आज तक चली आ रही होगी और हमेशा ही चलती रहेगी क्यूकि यह एक ऐसा अविष्कार था जिसका सही माप उस समय करना मुस्किल था।

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