माता सीता के ऐसे श्राप जिन्हें कलयुग मे भी भुगता जा रहा है।

Sita Mata: माता सीता को जानकी भी कहा जाता है और वैदेही एक हिंदू देवी हैं। वह भगवान विष्णु (Lord Vishnu) के अवतार राम की पत्नी हैं, और उन्हें विष्णु की पत्नी, लक्ष्मी (Laxmi Mata) का एक रूप माना जाता है। रामायण (Ramayan) में जब भगवान राम वनवास के लिए जा रहे थे, तभी उनके पिता राजा दशरथ ने पुत्र वियोग मे अपना शरीर त्याग दिया था। जब भगवान श्री राम जी को यह जंगल मे पता चला, तब वह अत्यंत दुखी हुए थे, और उन्होंने जंगल मे ही पिंड दान देने का निश्चय लिया।

तभी, भगवान श्री राम और लक्ष्मण जी जंगल मे ही आवश्यक सामग्री को इक्कठा करने के लिये चले गये, जिसमे उन्हें काफ़ी समाये लग गया। काफ़ी समय बाद भी जब वह दोनों नहीं आये तब पिंड दान का शुभ मुहर्रत निकला जा रहा था, जिस वजह से माता सीता ने सभी “वट के पेड़, कौआ, गाय” आदि को साक्षी मानते हुए पिंड दान कर दिया। जब श्री राम और लक्ष्मण जी वापस आए तो उन्होंने देखा की माता सीता ने पिंड दान कर दिया है, और सीता माता ने राम को सारी बात बतायी। जिनको साक्षी मानकर माता सीता ने पिंड करा था, से श्री राम से पूछा परंतु श्री राम के डर के कारण सभी “कौआ, गाय” ने सीता माता का साथ नहीं दिया सिर्फ़ “वट के पेड़” ने साथ दिया और बताया की क्यों सीता माता ने पिंड दान करा।

इस बात माता सीता क्रोधित हो गईं और झूठ बोलने की सजा देते हुए अजीवन श्रापित कर दिया। माता सीता से पंडित को श्राप मिला कि पंडित को कितना भी मिलेगा लेकिन उसकी दरिद्रता कभी दूर नहीं होगी। कौवे को कहा कि उसका अकेले खाने से कभी पेट नहीं भरेगा और आकस्मिक मृत्यु होगी। फल्गु नदी को श्राप मिला कि पानी गिरने के बावजूद नही ऊपर से हमेशा सूखी ही रहेगी और नदी के ऊपर पानी का बहाव कभी नहीं होगा। माता सीता ने गाय को श्राप दिया कि घर में पूजा होने के बाद भी गाय को हमेशा जूठन खाना पड़ेगा। रामायण में भी इस कथा का जिक्र मिलता है।

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