भारत का वह मंदिर जहां धरती से नौ रंग की ज्वाला निकलती है ।

कहते हैं जीवन में किसी भी प्रकार की बाधा हो, महादेव के दर्शन मात्र से वो सारी बाधाएं दूर हो जाती हैं. देवों के देव-महादेव अपने भक्तों के दुखों के साथ काल को भी हर लेते हैं और मोक्ष का वरदान देते हैं, इस मंदिर की मान्यता है कि जो भी भक्त सच्चे मन से आता है, उसकी हर मनोकामना पूरी होती है । यू तो भारत मे हर मंदिर की अपनी अपनी मान्यता है और हर मंदिर मे चमत्कार होते है, परंतु आज हम आपको एक ऐसे मंदिर के बारे मे बताएँगे जिसमे धरती से ज्वाला निकलती है और यह ज्वाला नौ रंग की होती है।

यह मंदिर हिमाचल प्रदेश मे है। हिमाचल प्रदेश के कालीधार पहाड़ी के बीच माता ज्वाला देवी का प्रसिद्ध ज्वालामुखी मंदिर है। हिंदू मान्यताओं के मुताबिक, यहां पर माता सती की जीभ गिरी थी। मान्यताओं के मुताबिक, माता सती के जीभ के प्रतीक के तौर पर ज्वालामुखी मंदिर में धरती से ज्वाला निकलती है। यह ज्वाला नौ रंग की होती है। यहां नौ रंगों की निकलने वाली ज्वालाओं को देवी शक्ति का नौ रूप माना जाता है।

यह ज्वाला महाकाली, अन्नपूर्णा, चंडी, हिंगलाज, विन्ध्यवासिनी, महालक्ष्मी, सरस्वती, अम्बिका और अंजी देवी की रूप है। मंदिर में निकलने वाली ज्वालाएं कहां से निकलती हैं और इनका रंग कैसे परिवर्तित होता है। आज तक इस बात की कोई जानकारी नहीं मिल पाई है। इस ज्वाला को मुस्लिम शासकों ने कई बार बुझाने की कोशिश की, लेकिन उनको सफलता नहीं मिली।

मंदिर में आरती के समय अद्भूत नजारा होता है। मंदिर में 2 बार आरती होती है। एक मंदिर के कपाट खुलते ही सूर्योदय के साथ में की जाती है। आरती के साथ-साथ महादेव को भोग भी लगाया जाता है। प्रसाद में इन्हें फल व दूध के साथ दही का भोग लगता है। उसे फूलो और सुगंधित सामग्रियों से सजाया जाता है। जिसमें कुछ संख्या में आये श्रद्धालु भाग लेते है।

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